Saturday, March 12, 2016

Jiye Jaa Rahe Hain...

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कल के सपने, पलकों पे अपने।
मंज़िल की कमी है,
पर चले जा रहे हैं।

अपनों की गलतियां, वक़्त के हिस्से।
दम-साज़ की कमी है,
पर साथ निभाए जा रहे हैं।

हाथों की लकीरें, किस्मत के किस्से।
खुशियों की कमी है,
पर मुस्कुराये जा रहे हैं।

किश्तों की ज़िन्दगी, गैरों से रिश्ते।
सांसों की कमी है,
पर जिये जा रहे हैं।


4 comments:

Pilot-Pooja said...

SUperb!!!!!!!!

Pilot-Pooja said...

no new post since long

Anonymous said...

Hey Pooja, What do I say. Life happened.! :) :| :(

Anonymous said...

How have you been? How did you land up here today?